19/03/2020
Under: Food Sovereignty and Agroecology, India, Women

10 जुलाई 2019 को हुए एक पैनल डिस्कशन पर आधारित यह रिपोर्ट भारत की कृषि में महिलाओं की चुनौतियों के बारे में बात करती है। महिलाकरण के एक लंबे दौर को देखने के बाद, भारतीय कृषि अब वि-महिलाकरण की स्थिति में है। यह रिपोर्ट एक बड़े कृषि संकट पर भी ग़ौर करती है, जिसका सबसे ज़्यादा असर महिला किसानों और मज़दूरों पर पड़ता है।
यह रिपोर्ट कृषि में कार्यरत महिलाओं की निम्नलिखित चुनौतियों के बारे में बात करती है:
आधिकारिक रूप पर किसान या मज़दूर के तौर पर पहचान पाने में असमर्थता और श्रेय की कमी, सरकारी योजना और मार्किट लिंकेज जैसे मुद्दे; महिलाओं को भूमि अधिकार ना मिलना; महिला किसानों के साथ-साथ सभी किसानों के पास कृषि के लिए पर्याप्त भूमि ना होना; कृषि, खाद्य पदार्थ और पोषण का लगातार होता अलगाव जो समृद्धि को उत्पादन से अलग करता है; और कृषि के डिजिटलीकरण और वित्तीयकरण की बढ़ती चुनौतियाँ।
चर्चा में बताए गए निम्नलिखित सुझावों को रिपोर्ट में शामिल किया गया है:
छोटे और हाशिये पर रहने वाले किसानों के लिए भूमि और श्रम से जुड़ी सहकारी समितियों का गठन करना, और इस क्षेत्र के लिए आयात-निर्यात लिंकेज सुनिश्चित करना; कृषि, खाद्य पदार्थ और पोषण के मुद्दों को फिर से जोड़ कर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को फिर से बनाना और उनका विस्तार करना; कृषि में शामिल महिलाओं की दिक़्क़तों जुड़े विशिष्ट मुद्दा-आधारित आंदोलनों का संचालन करना, ताकि हितधारकों का विस्तृत गठबंधन किया जा सके।